रविवार, 11 जुलाई 2010

माकन और घर

मकान और घर
जिस दिन मकान घर मे बदल जायेगा
सारे शहर का मिजाज़ बदल जायेगा.
जिस दिन चिराग गली मे जल जायेगा
मेरे गावं का अँधेरा छट जायेगा.
आने दो रौशनी तालीम की मेरी बस्ती मे
देखना बस्ती का भी अंदाज़ बदल जाएगा.
रहते हैं जो भाई चारे के साथ गरीबी मे
खुदगर्जी का साया उन पर भी पड़ जाएगा.
दौलत की हबस का असर तो देखना
तन्हाई का दायरा "कीर्ति" बढ़ता जाएगा.
उड़ जायेगी नींद सियासतदानो की
जब आदमी इंसान मे बदल जाएगा.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२
www.kirtivardhan.blogspot.com

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