रविवार, 27 सितंबर 2009

दशहरा

कामनाएं.
त्रेता युग मे राम हुए थे
रावन का संहार किया.
द्वापर मे श्री कृष्ण आ गए
कंश का बंटाधार किया.
कलियुग भी है राह देखता
किसी राम कृष्ण के आने की
भारत की पवन धरती से
दुष्टों को मार भागने की.
एक नहीं लाखों रावण हैं
संग हमारे रहते हैं
दहेज़ गरीबी अशिक्षा का
कवच चढाये बैठे हैं.
कुम्भकरण से नेता बैठे
मारीच से छली यहाँ
स्वार्थों की रुई कान मे उनके
आतंक पर देते न ध्यान.
आओ हम सब राम बने
कुछ लक्ष्मण का सा रूप धरें.
नैतिकता और बाहुबल से
आतंकवाद को ख़तम करें.
शिक्षा के भी दीप जलाकर
रावण का भी अंत करें.
दशहरे पर्व की हार्दिक सुभकामनाएँ.
डॉ अ किर्तिवर्धन.

शनिवार, 1 अगस्त 2009

मम्मी मुझे बताओ कैसे?

मम्मी मुझे बताओ कैसे?
कैसे आते आम पेड़ पर
और जमीन मे आलू
मम्मी मुझे बताओ कैसे
नाचे कूदे भालू?

कैसे आता चाँद गगन मे
और नीलगगन मे तारे
मम्मी मुझे बताओ कैसे
सूरज लाता भोर उजारे?

मैंने देखा चिडिया को
सुबह सवेरे आती
मम्मी मुझे बताओ कैसे
चिडिया इतना मीठा गाती?

कैसे बादल उडे गगन मे
फिर बरसी वरखा रानी
मम्मी मुझे बताओ कैसे
भीगे नाना नानी?
कैसे पंछी उडे गगन मे
और जमीन पर आते
मम्मी मुझे बताओ कैसे
पर्वत ऊँचे होते जाते?
डॉ अ किर्तिवर्धन
09911323732

रविवार, 21 जून 2009

मेरा गीत मुझे लौटा दोतुम चाहती हो तुमको भूलूंमैं भूलूंगामेरा गीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगा।गाया था जो संग तुम्हारेमधुर क्षणों मे,भंवरों के संगगीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगातुम चाहती हो तुमको भूलूंमैं भूलूंगामेरा गीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगा।चंदा की वह मधुर चाँदनीछत पर जा जब बातें की थीचाँदनी मुझको लौटा दोमैं जी लूँगातुम चाहती हो तुमको भूलूंमैं भूलूंगामेरा गीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगा।अमुवा की वह छावं घनीपवन संग झुला झूले थेमुझको लौटा दोमैं जी लूंगातुम चाहती हो तुमको भूलूंमैं भूलूंगा मेरा गीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगा।तन्हाई मे तिल-तिल जीनाऔर मिलन की इच्छा करनापल मुझको लौटा दोमैं जी लूंगातुम चाहती हो तुमको भूलूंमैं भूलूंगामेरा गीत मुझे लौटा दोमैं जी लूँगा।जारी है. डॉ. अ.kirtivardhan

मेरा गीत मुझे लौटा दो

तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
गाया था जो संग तुम्हारे
मधुर क्षणों मे,भंवरों के संग
गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
चंदा की वह मधुर चाँदनी
छत पर जा जब बातें की थी
चाँदनी मुझको लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
अमुवा की वह छावं घनी
पवन संग झुला झूले थे
मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
तन्हाई मे तिल-तिल जीना
और मिलन की इच्छा करना
पल मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।


जारी है.

मेरा गीत मुझे लौटा दो

मैं जी लूँगा।

गाया था जो संग तुम्हारे
मधुर क्षणों मे,भंवरों के संग
गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा .